Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक क संरचना
Sep 23
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रासायनिक आबंधन तथा आण्विक क संरचना
Chemical Bonding And Molecular Structure
रासायनिक आबंधन की कॉसेल- लूइस अवधारणा 1916 में कॉसेल और लुइस ने आबंध के बनने की व्याख्या की।
तथ्य:-
उच्च विद्युत ऋणात्मकता वाले हैलोजन और उच्च विद्युत्- धनात्मकता वाले क्षार धातु को उत्कृष्ट गैस पृथक् करते हैं।
ऋणायन तथा धनायन स्थिर वैद्युत आकर्षण द्वारा स्थायित्व ग्रहण करते हैं।
धनायन तथा ऋणायन के बीच आकर्षण के फलस्वरूप बने बंध को वैद्युत् संयोजक आबंध (Electrovalent Bond) कहते हैं।
अष्टक् नियम (Octet Rule)
रासायनिक आबंधन का इलेक्ट्रॉनिकी सिद्धांत परमाणुओं का संयोजन इलेक्ट्रॉनों के एक परमाणु से दूसरे परमाणु पर स्थानांतरण के द्वारा अथवा संयोजक इलेक्ट्रानों के सहभाजन (sharing) के द्वारा होता है। इस प्रकार परमाणु संयोजकता कोश में अष्टक प्राप्त करते हैं। इसे आष्टक नियम कहते हैं।
सहसंयोजी आबंध
परमाणुओं द्वारा आपस में एक - एक इलेक्ट्रॉन का साझा करके बने बंध को सहसंयोजक बंध कहते हैं।
लूइस संरचना
Note :- अगर अणु पर आवेश होता है तो [ ] में लूइस संरचना बना के बाहर आवेश लिखते हैं।
फॉर्मल आवेश
फॉर्मूल आवेश = संयोजकता इलेक्ट्रॉनों - अनांधी - 1/2(आबधित
किसी परमाणु पर की कुल संख्या e- की संख्या e- की संख्या)
अष्टक नियम की कि सीमाएँ
a) अपूर्ण अष्टक
LiCl, BeH2,AICl3, BF3
b) विषम इलेक्ट्रॉन अणु
NO, NO2
c) प्रसारित अष्टक
SF6, H2SO4,PF5
अन्य कमियाँ
अपवाद XeF2, KrF2, XeOF2 उत्कृष्ट गैसों अभिक्रियता को नहीं समझाता
आकृति स्पष्ट नहीं करता
अणु की ऊर्जा अर्थात स्थायित्व के बारे में कुछ भी संकेत नहीं देता
आयनिक या विद्युत संयोजी आबंध
ऋणायन तथा धनायन के बिच आकर्षण के फलस्वरूप बना आबंध
Note:- निम्न आयनन एंथैल्पी व निम्न इलेक्ट्रान लब्धि एंथैल्पी वाले तत्वों के बीच आयनिक बंध सरलता से बनता है।
जालक एंथैल्पी
किसी आयनिक ठोस के एक मोल यौगिक या अणु को उसके आयनों या परमाणुओं को प्रथक करने के लिए आवश्यक ऊर्जा जालक एंथैल्पी कहलाती है।
आबंध लम्बाई
* आबंधित परमाणुओं के नाभिकों के बीच साम्यावस्था दूरी |
* आबंधित अवस्था में दोनो परमाणुओं के क्रोड तक की दूरी सहसंयोजकता त्रिज्या मानी जाती है।