
वर्गिकी (taxonomy)
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत जीवो के नामकरण, वर्गीकरण एवं उनके सिद्धांती अध्ययन किया जाता है, वर्गिकी कहलाती है।
वर्गिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कैण्डाले द्वारा प्रयोग किया गया
Taxonomy
1. Taxis - Arrangement ( व्यवस्थित)
2. Nomos - Law (नियम)
वर्गीकरण का इतिहास
जन्तुओ के प्रथम वर्गीकरण का श्रेय ग्रीक दार्शनिक अरस्तु को जाता है।
अरस्तु को जीवविज्ञान एवं जन्तु विज्ञान का जनक को कहा जाता है।
अरस्तु ने जन्तुभी का वर्गीकरण रूधिर के रंग के आधार पर अपनी पुस्तक हिस्टीरिया एनिमेलियम मे किया
इन्होने जन्तु जगत को दो श्रेणियो मे वर्गीकृत किया।
1. ऐनेइमा
2. इनेइमा
ऐनेइमा (Anaimal)
इसके अंतर्गत उन्होने लाल रुधिर विहीन जन्तुओ को रखा। जैसे- स्पंज, निडेरिया, मोलस्क, आर्थ्रोपोड्स, इकाइनोडर्मस् आदि अकशेरुकी प्राणी |
इनेइमा(Enaima):
इसके अंतर्गत उन्होने लाल रुधिर वाले कशेरन्की जन्तुओ को रखा। इस समूह को उन्होने पुन: दो उपसमूहो मे विभाजित किया
(A) विविधैरा या जरायुज (Vivipara)
(B)भविषैश या अण्डयुज (Ovipara)
(A) विविपैरा या जरायुज :-
इसके अंतर्गत वे जन्तु आते है। जो बच्चों को जन्म देते है। जैसे मनुष्य पशु, कुता, आदि।
(B) ओबिपैरा या भण्डयुज:-
इसके अंतर्गत सभी अण्डे देने वाले जन्तुओ को शामिल किया गया है, जैसे मेढ़क छिपकली. सर्प, पक्षी आदि|
जीवो का वर्गीकरण
द्विजगत वर्गीकरण :-
कैरोलर्स लिनियम ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी मे सम्पूर्ण जीवधारियो की दो जगतों मे विभाजित किया
1. पादप जगत
2. जन्तु जगत
पादप जगत(Plant kingdom)
पादप जगत की विशेषताए
कोशिका मिली एवं केन्द्रीय रिक्तिका की उपस्थिति
क्लोरोफिल (पर्णहरिम) की उपस्थित के कारण
स्वपोषी अर्थात प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बना लेते है।
संचित भोजन का स्टार्च के रूप मे पाया जाना।
सक्रिय प्रचलन का अभाव
5. पेशिया, उत्सर्जन तंत्र, तंत्रिका तंत्र एवं संवेदी अंगी की अनुपस्थित,
6. इसके अंतर्गत शैवाल, कवळ लाइकेन प्रायोफाइटा
टेरिडोफाइटा, अनावृतबीजी एवं आवृतबीजी शामिल हैं।
जन्तु जगत की विशेषताए :-
कोशिका मिति एवं रिक्तिका अभाव ।
क्लोरोफिल का अभाव होता है अतः ये परपोषित
होते है, अर्थात अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नही कर पाते।
3. सक्रिय प्रचलन का पाया जाना
4. संचित भोजन का ग्लाइकोजन के रूप मे पाया जाना
5. बाह्य उद्दीपनी के प्रति तुरन्त प्रतिक्रिया
6. उत्सर्जन तंत्र संवेदी अंग तंत्रिका तंत्र एवं पेशियो पाया जाना
7. इसके अंतर्गत प्रोटोजोअन, अकशेरन्की एवं कशेरुकी
शामिल है।
द्विजगत वर्गीकरण के दोष
1. युग्लीना मे क्लोरोफिल पाया जाता है जो कि पादप का लक्षण है लेकिन यह जन्तुओ के समान कशाभिकायुक्त एवं गतिशील होते है। तथा कोशिकामिति का अभाव होता है। अत: इसी कारण युग्लीना को पादप एवं जन्तु के बीच की कड़ी मानते है।
2. कवकों को पादप जगत मे रखा गया है। जबकि इनमें क्लोरोफिल का अभाव होता है।
3. क्लेमाइडोमोनास को पादप जगत मे शामिल किया गया है। क्योकि ये स्वपोषी एवं कोशिका भिति युक्त होते है। लेकिन यह कशाभिकायुक्त एवं गतिशील होते है। जो कि जन्तुओ के लक्षण है।
4. जीवाणओ, माइकोप्लाज्मा